हरियाणा के धीन गांव के शूटर सरबजोत सिंह ने पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लिया और कांस्य पदक जीता। वह ओलंपिक पदक जीतने वाले अंबाला के पहले व्यक्ति हैं। सरबजोत ने यमुनानगर के अपने स्कूल में अपने घर की दीवार पर लकड़ी के बोर्ड का इस्तेमाल करके शूटिंग की प्रैक्टिस शुरू की। अंबाला की एक निजी अकादमी में अपने कोच अभिषेक राणा की मदद से सरबजोत ने कड़ी मेहनत की और ओलंपिक में सफलता हासिल की।
सरबजोत सिंह के पिता, जीतेंद्र सिंह ने कहा कि उनका बेटा शूटर बनना चाहता था। उन्होंने उससे कहा कि कड़ी मेहनत करो और भगवान उसकी मदद करेंगे। सरबजोत हर दिन सुबह जल्दी उठकर अंबाला छावनी में स्थित अकादमी में प्रशिक्षण लेता था।
घर से गांव की सड़क भी बहुत खराब थी उस समय। ऐसे में रोजाना जाना भी कठिन था। इसके बाद बस का इंतजार करना था और बस से अकादमी पहुंचना था। सरबजोत इतनी मुश्किलों के बावजूद अपनी कोचिंग को रोजाना समय देता था।
देश की सेवा कर सका: पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर सरबजोत ने कहा कि वे खुश हैं कि वह देश के लिए कुछ कर सका। लेकिन इसके साथ ही उनका दुःख भी है कि उन्होंने सिर्फ एक मुकाबले के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी थी। वह इस मुकाबले से बहुत कुछ सीखेंगे, जिन्हें आगे की तैयारी में रखेंगे।
खेल की प्रक्रिया पर ध्यान : अभिषेक सरबजोत का कोच अभिषेक राणा ने बताया कि वह पिछले दो महीने से सरबजोत को विदेश में तैयार कर रहे हैं। सरबजोत ने कहा कि अकेले मुकाबले में चूकने पर हताशा न होने के लिए अपनी प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। सरबजोत ने अपनी कमियों को खोजा और उन पर काम करने के बाद सोमवार को क्वालीफाई मुकाबले में उतरा था। परीक्षा पूरी होने पर कोच ने बताया कि अगर आपकी प्रक्रिया अच्छी होगी तो आपके रिजल्ट भी अच्छे होंगे। सिर्फ इस बात का ध्यान रखें कि खेल को उसी तरह खेलें जैसे आपने अभ्यास के दौरान किया था। बिना दबाव महसूस किए, अपने आसपास की स्थिति पर ध्यान देते हुए l