सरकार तेजी से नान-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाने जा रही है। सरकार का दावा है कि इससे लगभग छह लाख नई नौकरियां मिल जाएंगी।
पुनर्निर्माण कार्य पूरा होने पर इसे कंफर्मिंग क्षेत्र घोषित किया जाएगा। कंफर्मिंग क्षेत्र में व्यवसायों को ऋण लेना आसान होगा। यहाँ तीन विषयों पर काम किया जाएगा।
दिल्ली सरकार मास्टर प्लान-2041 की आवश्यकताओं को देखते हुए ले-आउट योजना बनाएगी। स्थानीय उद्योग एसोसिएशन या सोसायटी के साथ मिलकर ले-आउट योजना बनाई जाएगी।
औद्योगिक क्षेत्रों को केपाबल बनाने का काम किया जाएगा
दूसरा मुद्दा है कि औद्योगिक क्षेत्रों को स्वच्छ, हरा-भरा और बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा। बेहतर सड़कें, सीवरेज, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र, पेयजल की आपूर्ति और औद्योगिक अपशिष्ट निपटान की सुविधाएं होंगी। बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में डेवलपर्स का सहयोग लिया जाएगा।
तीसरा मुद्दा है कि औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जैसे एक्सपीरियंस सेंटर, टूल रूम, प्रोसेसिंग सेंटर, अनुसंधान और विकास, मान्यता प्राप्त टेस्ट लैब, ट्रेनिंग सेंटर, कच्चा माल बैंक और लाजिस्टिक सेंटर।
इसमें आनंद पर्वत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, सुल्तानपुर माजरा, हस्तसाल पाकेट-ए, नरेश पार्क एक्सटेंशन, लिबासपुर, पीरागढ़ी गांव, ख्याला, हस्तसाल पाकेट-डी, शालीमार गांव, न्यू मंडोली, नवादा, रिठाला, स्वर्ण पार्क मुंडका, हैदरपुर, करावल नगर, डाबरी, बसई दारापुर, प्रह्लादपुर बांगर, मुंड
दिल्ली सरकार ने कहा कि नान-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों में ले-आउट योजना बनाने का 90 प्रतिशत खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन केवल १०% भाग लेगा। ताकि उद्योग भी शामिल हो सके। यह औद्योगिक क्षेत्रों में बेहतर होगा।
दिल्ली सरकार का कहना है कि अवैध या नान कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्र बन गए क्योंकि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने समय पर नियमित औद्योगिक क्लस्टर नहीं बनाए। शहर के कई क्षेत्रों में उद्यमियों को अपने व्यवसायों और कारखानों को चलाने के लिए आवासीय जमीन खरीदनी पड़ी। दिल्ली में नान-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों के कई रिहायशी इलाके हैं, जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक जमीन पर औद्योगिक गतिविधियां चल रही हैं।