नीरज ने हरियाणा का दही और दूध खाया है। भाला उसके अनुकूल नहीं चला, बल्कि उसके अनुकूल चला। करोड़ों माताओं का आशीर्वाद और दुआएं भी उसके साथ हैं। पेरिस ओलंपिक में नीरज ने इतिहास दोहराया है।
नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी की कहना था कि सुबह से नीरज चोपड़ा के गुरुवार रात के मैच को लेकर वह उत्साहित थी। घर में पहले भगवान से प्रार्थना की और फिर पूजा की। उसने फिर सभी देवताओं से नीरज के स्वर्ण पदक की मांग की। उसने शाम को घर में किसी भी काम में भी बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाई। नीरज को हाथ में लेकर प्रार्थना करती रही। उसने 11:55 बजे तक इंतजार किया।सरोज ने बताया कि नीरज ने देसी हरियाणा का दूध और घी खाया है। उसका शरीर दमदार है। भाला उसी तरह चलेगा। भाला जहां और जितना चाहे जाता है। उसने एक थप्पड़ सुना। इसलिए देश को रजत पदक मिला है।नीरज की मां सरोज ने कहा कि विनेश फोगाट का पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक पक्का था। इससे वह चूक गई। विनेश की पराजय भी उसे बहुत दुखी करती है। पहला वजन आयोजकों को कराना था। उसे हौसला नहीं तोड़ना चाहिए, बल्कि आगे बढ़ने का साहस करना चाहिए।
नीरज के पिता सतीश कुमार ने कहा कि सबकी नजर पेरिस ओलंपिक पर है। उनके साथ हर कोई प्रार्थना कर रहा था। खंडरा गांव के बच्चे इससे उत्साहित थे। वह आठ महीने से पेरिस ओलंपिक की तैयारी कर रहा था। वे फिर से अपने गांव में उनका भव्य स्वागत करेंगे।टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खंडरा के लाल नीरज चोपड़ा गुरुवार रात को पेरिस ओलंपिक में दूसरी बार मैदान पर उतरे। भारतीय समय अनुसार रात 11:50 बजे उनका मैच शुरू हुआ। नीरज के गांव खंडरा में फाइनल मुकाबले को लेकर बहुत उत्साह था। लाइव मैच देखने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर बड़ी स्क्रीन लगाई गई, जहां लोगों ने सामूहिक रूप से मैच देखा. इसमें पैतृक गांव खंडरा भी शामिल था।
नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में प्रदर्शन करने के लिए लगभग आठ महीने तक तुर्की में रहकर कठोर अभ्यास किया था। इस दौरान, वे स्वदेश से दो दिन की एक चैंपियनशिप में भाग लेने के बाद वापस तुर्की चले गए। इसके बाद 31 जुलाई को पेरिस ओलंपिक में पहुंचे, जहां उन्होंने पिछले दिन क्वालीफाइंग राउंड में 89.34 मीटर भाला फेंककर अपने लक्ष्य को साबित किया।रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने रात को परिजनों से फोन पर बात की और उनको बधाई दी।