राव आईएएस स्टडी सर्किल के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित कोचिंग सेंटर में डूबने से तीन छात्रों की मौत को आरोपितों के अधिवक्ता ने दैवीय घटना बताया।अधिवक्ता ने कहा कि घटना को टाला जा सकता था अगर नगर निगम ने अपने कर्तव्यों को पूरा किया होता, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए।
वकील ने दलील मे कहा बेसमेंट कोई पुस्तकालय नहीं था-
राउज एवेन्यू कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने चारों आरोपितों के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद अधिवक्ता को 12 अगस्त को अपनी दलीलें पूरी करने को कहा। परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह को आरोप लगाया गया है। आरोपितों के अधिवक्ता ने कहा कि बेसमेंट एक प्रतीक्षा क्षेत्र था, न कि एक पुस्तकालय।वकील ने कहा कि लीज डीड में पुस्तकालय की चर्चा नहीं हुई है, लेकिन कहा गया है कि इसका उपयोग कोचिंग के लिए किया जाना चाहिए था। अधिवक्ता ने कहा कि अग्निशमन विभाग ने परिसर को घटना से कुछ दिन पहले देखा था। उनका दावा था कि निरीक्षण के बाद अग्निशमन विभाग ने दी गई रिपोर्ट में बताया गया था कि इमारत सुरक्षित थी और शैक्षणिक केंद्र चलाने के लिए उपयुक्त थी।
वकील ने कहा कि गैर इरादतन हत्या की धारा लगाने के लिए ज्ञान और अपराध करने का इरादा दोनों होना चाहिए। अधिवक्ता ने दलील दी कि क्या उनके मुवक्किलों ने संपत्ति दी थी कि वे बेसमेंट बनाकर किसी की हत्या कर देंगे जब बारिश होगी। न्यायाधीश को अधिवक्ता ने बताया कि चारों आरोपित गिरफ्तारी से नहीं भागे, बल्कि घटना की जानकारी मिलने पर खुद पुलिस स्टेशन चले गए।चारों आरोपितों की जमानत याचिका पर भी सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता ने जवाब दिया। तीस हजारी कोर्ट ने पहले चारों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया।