नई दिल्ली: भारतीय सेना ने कुछ अद्भुत किया! उन्होंने पहाड़ों में, ज़मीन से 15,000 फ़ीट ऊपर, दुनिया का पहला चलता-फिरता अस्पताल बनाया। ऐसा करने के लिए सेना और वायुसेना ने मिलकर काम किया। इस खास अस्पताल को आरोग्य मैत्री क्यूब कहा जाता है। अगर कोई आपातकालीन या आपदा आती है, तो इसे सिर्फ़ 12 मिनट में उन जगहों पर ले जाया जा सकता है, जहाँ लोगों को मदद की ज़रूरत है।
भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना ने मिलकर आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब नामक एक विशेष अस्पताल को आसमान से लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई पर गिराया। यह विशेष अस्पताल दुनिया का पहला ऐसा अस्पताल है जिसे हवाई जहाज से उठाकर ले जाया जा सकता है।
रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि उन्होंने पहली बार एक विशेष और बहुत सटीक पैराशूट ड्रॉप किया। यह भीष्म परियोजना का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना और उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करना है। उन्होंने दिखाया कि वे पहाड़ी और दुर्गम स्थानों पर भी लोगों की मदद कर सकते हैं और सहायता प्रदान कर सकते हैं।
सी-130जे सुपर हरक्यूलिस का किया उपयोग
पैरा-ड्रॉप वास्तव में बहुत बढ़िया रहा और इसने दिखाया कि सेना के विभिन्न अंग एक साथ मिलकर कितनी अच्छी तरह काम कर सकते हैं। वायु सेना ने एक बड़े बॉक्स को ले जाने और उसे ठीक उसी जगह गिराने के लिए C-130J सुपर हरक्यूलिस नामक एक विशेष हवाई जहाज का इस्तेमाल किया, जहाँ उसे ले जाना था। सेना की पैरा ब्रिगेड ने विशेष उपकरणों का उपयोग करके बॉक्स को गिराने में मदद की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह सही जगह पर उतरे।
केवल 720 किलोग्राम का है आरोग्य मैत्री क्यूब्स
कल्पना कीजिए कि आपके पास एक बड़ा, खास बॉक्स है जो आपातकालीन स्थिति में लोगों की मदद कर सकता है, जैसे कि अगर किसी को चोट लग जाए या कोई बड़ी आपदा आ जाए। इस खास बॉक्स को आरोग्य मैत्री क्यूब कहा जाता है, और यह 72 छोटे बॉक्स से बना है। वायुसेना का कहना है कि बड़ा बॉक्स वास्तव में दो मुख्य भागों से बना है, और प्रत्येक भाग के अंदर 36 छोटे बॉक्स हैं। पूरे बॉक्स का वजन एक छोटी कार के बराबर है, लगभग 720 किलोग्राम। अगर कोई आपातकालीन स्थिति है और लोगों को तुरंत मदद की ज़रूरत है, तो वायुसेना इस खास बॉक्स को सिर्फ़ 12 मिनट में उस जगह पर पहुंचा सकती है जहाँ इसकी ज़रूरत है। उन्होंने हाल ही में आगरा नामक जगह पर भीष्म पोर्टेबल अस्पताल नामक इस खास बॉक्स का परीक्षण किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह अच्छी तरह से काम करता है।
ग्लोबल साउथ समिट में पीएम मोदी ने की थी घोषणा
जनवरी 2023 में ग्लोबल साउथ समिट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आरोग्य मैत्री’ परियोजना की घोषणा की थी। इसके तहत भारत प्राकृतिक आपदाओं या मानवीय संकटों से प्रभावित किसी भी विकासशील देश को आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करेगा। यह उन्नत चिकित्सा सुविधाओं से भी सुसज्जित है, जिसमें आपरेशन थियेटर, एक्स-रे मशीन, रक्त परीक्षण उपकरण, वेंटिलेटर, जनरेटर, स्ट्रेचर, माड्यूलर चिकित्सा उपकरण, शामिल हैं। फायरिंग में घायल होने, जलने, सर्जरी, फ्रैक्चर में ये मददगार हैं।
जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न देशों की एक बड़ी बैठक में ‘आरोग्य मैत्री’ नामक एक योजना की घोषणा की। इस योजना का मतलब है कि भारत उन देशों की मदद करेगा जिन्हें भूकंप, बाढ़ या अन्य आपात स्थितियों जैसी बड़ी समस्याओं के दौरान चिकित्सा आपूर्ति की आवश्यकता है। भारत ऑपरेशन के लिए मशीनें, एक्स-रे मशीनें, रक्त की जांच करने के उपकरण, लोगों को सांस लेने में मदद करने के लिए वेंटिलेटर, बिजली के लिए जनरेटर, लोगों को ले जाने के लिए स्ट्रेचर और चोटों के इलाज के लिए अन्य उपकरण जैसे महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण भेजेगा। ये उपकरण उन लोगों की मदद करने के लिए बहुत उपयोगी हैं जो घायल हैं, जल गए हैं, सर्जरी की जरूरत है, या जिनकी हड्डियाँ टूट गई हैं।