दिल्ली में इस बार सीवर की सफाई पूरी तरह से खराब हो गई है। इस बार बारिश के दौरान सड़कों पर भारी जलभराव देखने को मिला है। दिल्ली सरकार की जल मंत्री आतिशी ने इस मामले में स्पष्ट किया है कि बजट की कमी ने ऐसे हालात पैदा किए हैं। सीवर सफाई के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों में ही करीब 60% की कटौती करनी पड़ी है क्योंकि बजट की राशि नहीं मिली है। हालाँकि, पिछले छह महीने से सीवर सफाई करने वाले 189 कॉन्ट्रैक्टरों को बिलों का भुगतान ही नहीं किया गया है।उन्होंने दवा किया कि उन्होंने ठेकेदारों को उनके बिलों का भुगतान करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद पेमेंट नहीं की गई। अब हालात यह हैं कि औसतन रोजाना सीवर सफाई की दो हजार से अधिक शिकायतें आ रही हैं, लेकिन मशीनरी के अभाव में सीवर सफाई का काम ठप पड़ा है।
70 विधानसभाओं में 9743.2 किमी सीवर है। सर्कल-1, 2, 5, 8 और 10 सबसे लंबी सीवर लाइनें हैं। इन सभी सर्कलों में सीवर लाइनों की लंबाई 1000 किमी से अधिक है। 70 विधानसभा क्षेत्रों से सीवर सफाई के लिए प्रतिदिन लगभग 2000 कंप्लेंट आते हैं। उन्हें दूर करने के लिए जल बोर्ड 461 सीवर क्लीनिंग मशीनें रखता है। जिनमें से 187 मशीनें दलित कंट्रैक्टरों को जल बोर्ड से दी गई हैं। 274 मशीनें जल बोर्ड पर चली गईं।फाइनेंस विभाग में अड़ंगे की वजह से मौजूदा वित्तीय वर्ष का बजट अभी भी जारी नहीं किया गया है, ऐसा आरोप है। इसके परिणामस्वरूप, जल बोर्ड ने 461 मशीनरी में से लगभग 60 प्रतिशत को कम कर दिया है। सीवर क्लीनिंग मशीनों की संख्या कम होने से जितनी कंप्लेंट आ रही हैं, उन सभी पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। यही कारण है कि दिल्ली में सीवर जाम और सीवर ओवरफ्लो की गंभीर समस्या पैदा हुई है।
आतिशी का कहना है कि इस वर्ष जल बोर्ड के पास 7000 करोड़ रुपये का बजट है। 25% बजट की पहली किश्त अप्रैल से अगस्त तक दी जाती है। अंतिम चार महीनों में पचास प्रतिशत दूसरी किश्त और बीस प्रतिशत तीसरी किश्त दी जाती है। जल बोर्ड को बजट की पहली किश्त में 1725 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन अब तक सिर्फ 527 करोड़ रुपये दिए गए हैं। अगले महीने दूसरी किश्त (2637.5 करोड़) देनी होगी। लेकिन पहली किश्त अभी पूरी नहीं हुई है, तो दूसरी की उम्मीद कैसे करें? वित्तीय संकट के कारण अभी भी हजारों काम बाकी हैं।
Attishy ने बताया कि जल बोर्ड से सबसे अधिक शिकायतें सीवर ओवरफ्लो और सीवर जाम की हैं। 2000 से अधिक कंप्लेंट हर दिन आते हैं। जल बोर्ड में कुल 11 सर्कल हैं, प्रत्येक में 5 से 8 विधानसभा क्षेत्र हैं। पूर्वी दिल्ली के 16 विधानसभाओं इलाकों में लगभग 150 सीवर क्लीनिंग मशीनें थीं। लेकिन इन क्षेत्रों में 99 मशीनें कम हो गई हैं। सर्कल-2 में 56, सर्कल-5 में 21 मशीनें घटी हैं। यही कारण है कि बाकी सर्कलों में मशीनों की संख्या भी कम की गई है। इस साल जनवरी से, सीवर सफाई करने वाले 189 दलित कॉन्ट्रैक्टरों को वित्तीय संकट के कारण भुगतान नहीं किया गया है।