हरियाणा में एक-एक विधानसभा सीट पर जीत का अनुमान लगा रही भाजपा इस बार अपने अधिकांश दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारने पर गंभीर है। राज्य में हुए परिवर्तनों के बाद, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट के अधिकांश राज्य मंत्रियों ने चुनावी दंगल में फिर से भाग लेने का संकेत दिया है। इसके बावजूद, इनमें से कई राज्य मंत्री अपनी-अपनी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के बाकी उम्मीदवारों के साथ संघर्ष कर रहे हैं।जब नायब सिंह सैनी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया, तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के स्थान पर सात विधायकों को राज्य मंत्री का पद दिया गया।यह राज्य मंत्री लोकसभा चुनाव में आचार संहिता की वजह से अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में बहुत अधिक काम नहीं कर पाए, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी राज्य मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में लगभग एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का काम हुआ है या स्वीकृत किया गया है। यह उन्हें बल देता है।भाजपा का पूरा भरोसा पूरे प्रदेश में खेल एवं वन राज्य मंत्री संजय सिंह पर है। उनके अलावा, वे तावडू व नूंह से चुनाव जीत चुके हैं और पार्टी में प्रदेश सचिव भी रहे हैं। पानीपत ग्रामीण के विधायक महिपाल सिंह ढांडा की जाटों में मजबूत पकड़ है, जबकि अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल वैश्य बिरादरी के प्रसिद्ध नेता हैं।पार्टी सिंचाई राज्य मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव की साफ सुथरी छवि और नांगल चौधरी में उनकी पकड़ से खुश है। बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा की भी मजबूत दावेदारी है, लेकिन उन्हें भाजपा नेता धनेश अदलखा की दावेदारी से जूझना पड़ रहा है। लंबे समय से थानेसर से चुनाव जीतने वाले प्रसिद्ध पंजाबी नेता शहरी निकाय राज्य मंत्री सुभाष सुधा हैं। सुभाष सुधा ने अपने क्षेत्र में बहुत कुछ किया है। बवानीखेड़ा के विधायक विशंभर वाल्मीकि को लेक से कुछ नाराजगी है, लेकिन उन्हें चुनाव में सक्रिय रहने के लिए भी कहा गया है। अब पता चलेगा कि पार्टी इन राज्य मंत्रियों पर कितना भरोसा करती है।