अतिरिक्त सेशन जज पुरुषोत्तम कुमार की कोर्ट ने धारा 376 और 302 के तहत दोषी को फांसी की सजा सुनाई क्योंकि उसने अपराध के बाद महिला के प्राइवेट हिस्से में रॉड डालकर उसकी चुन्नी से हत्या की थी। यह केस दो साल चला। दोनों पक्षों ने 22 गवाह पेश किए। यह कहते हुए कि मानसिक दिव्यांग महिला का दुष्कर्म करके हत्या करना जघन्य अपराध है, बुधवार को सेशन जज ने फांसी की सजा सुनाई। इससे क्षमा नहीं की जा सकती।2022 नवंबर में सेक्टर-आठ थाना क्षेत्र में दुष्कर्म के बाद हत्या का मामला दर्ज किया गया था। केस के अनुसार, सेक्टर-आठ थाना क्षेत्र की एक महिला मानसिक दिव्यांग थी। वह अपने पति को बताए बिना घर छोड़ दी थी। महिला ने घर छोड़ने के बाद बाटा चौक में रहने वाले मनोज नेपाली से संपर्क किया।मनोज मूल रूप से नेपाल का था और नशा करता था। उसने छीना झपटी और नशाखोरी की। मनोज ने महिला को बलात्कार करने के उद्देश्य से बाटा रेलवे स्टेशन से सेक्टर-सात में स्थित एक खंडहर में ले गया। उसने महिला को न सिर्फ बलात्कार किया, बल्कि उसके निजी भाग में रॉड डालकर चुन्नी से गला घोंट दिया।मामले में सरकारी वकील सुरेश चौधरी ने कहा कि कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी को पकड़ लिया। दोषी ने महिला के साथ गुरुद्वारे की ओर जाते हुए माथा टेका था। मनोज नेपाली इसके बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। दोषी का सीमेन महिला के कपड़े पर पाया गया था। डीएनए भी एकजुट था। जिस पर सेशन जज ने अपना निर्णय दिया।