दिल्ली सरकार के निर्णय से डेढ़ लाख से अधिक पब्लिक सर्विस वीकल्स और पैसेंजर वीकल्स लाभान्वित होंगे, दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा। इनमें आरटीवी, ग्रामीण सेवा, फटफट सेवा, प्राइवेट बसें, मैक्सी कैब, टूरिस्ट टैक्सी (पैसेंजर वीकल्स) और कुछ विशिष्ट क्षेत्रों के कमर्शल वीकल्स भी शामिल हैं। वर्तमान में डीटीसी, क्लस्टर बस, ऑटो और काली-पीली टैक्सी इसमें शामिल नहीं हैं।अब पैसेंजर वीकल्स में GPS-आधारित ट्रैकिंग डिवाइस लगाने के लिए ड्राइवर या वीकल ओनर को 1,416 रुपये प्रति वर्ष (1200 रुपये फीस और 18 प्रतिशत जीएसटी) देने पड़ेंगे। सरकार ने भी डिम्ट्स से वीकल ट्रैकिंग का कार्य एनआईसी को सौंप दिया है। गहलोत ने कहा कि 2019 में दिल्ली सरकार ने एक लाख ऑटो और काली-पीली टैक्सी का एनुअल ट्रैकिंग शुल्क भी माफ कर दिया था।सरकार ने अब तक पांच अन्य करों में कटौती या पूरी तरह से उन्हें खत्म कर दिया है, जिनमें फिटनेस सर्टिफिकेट और फिटनेस जांच शुल्क शामिल हैं। दिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान ऑटो चालकों को आर्थिक सहायता देने के लिए 1.67 करोड़ रुपये लुप्तप्राय: खर्च किए।गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऑटो-टैक्सी चालकों को हमेशा अपना परिवार समझा है। CM अरविंद केजरीवाल भी अपने आटो-टैक्सी चालक भाइयों को जेल में देख रहे हैं। उन्हीं की प्रेरणा से यह निर्णय लिया गया है। इसकी मांग पैसेंजर वीकल संचालकों ने लंबे समय से कर रहे थे।