यमुना में बाढ़ का खतरा अभी भी बरकरार है। इस सीजन में भी बाढ़ की आशंका है। एक्सपर्ट का कहना है कि मॉनसून का समय बहुत कम होता है कि नदी में बाढ़ न आए। यमुना का इतिहास बताता है कि मॉनसून यहाँ बाढ़ लाता है। ज्यादातर बार बाढ़ अगस्त के अंत या सितंबर में हुई है। इसलिए दिल्ली को बाढ़ से निपटने के लिए अभी पूरी तरह से तैयार होना चाहिए।
दक्षिण एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल्स के भीम सिंह रावत ने कहा कि मॉनसून के तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक यमुना में कोई बाढ़ नहीं आई है। पानी का स्तर चार हजार क्यूसेक पार नहीं हुआ। बाढ़ के लिए, हालांकि, एक बार में लगभग डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि दिल्ली अब बाढ़ से सुरक्षित है। IMBD का अनुमान है कि मॉनसून धीरे-धीरे आ रहा है। यदि पानी की मात्रा दो से तीन लाख क्यूसेक होती है, तो इस बार भी फ्लड के एक-दो स्पैल हो सकते हैं।
भीम सिंह रावत कहते हैं कि पूरा मॉनसून सीजन बिना बाढ़ के होता है। यह स्थिति नदी के लिए बहुत बुरी है। यमुना पर काम कर रहे DK Agrawal ने बताया कि एक फ्लड का असर लगभग एक से डेढ़ महीने तक रहता है। फ्लड करने से नदी जीवंत हो जाती है। वह ऑक्सिजन से भरपूर है। लेकिन अगर बाढ़ नहीं होती तो नदी अधिक प्रदूषित हो जाती है, उसकी एक्वेटिक लाइफ डिस्टर्ब होती है, आसपास की खेती पर असर पड़ता है और भूजल स्तर पर असर पड़ता है। दिल्ली का पानी यमुना पर निर्भर है।
ऐसे में इस साल दिल्ली में बाढ़ भी हो सकती है अगर बाढ़ नहीं आती। 13 जुलाई को पिछले साल यमुना में समय से पहले बाढ़ आई थी, दिवान सिंह ने बताया। यही कारण है कि लोगों को लगता है कि बाढ़ का समय बीत चुका है। जबकि ऐसा नहीं है। यमुना में कई बार दिवाली के आसपास भी बाढ़ हुई है। दिल्ली को कम से कम 15 सितंबर तक बाढ़ का खतरा है।