हरियाणा विधानसभा चुनाव में 16 लाख बाहरी मतदाता खेल सकते हैं। खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश, जो चुनावों में महत्वपूर्ण योगदान देंगे, से लगभग आठ प्रतिशत मतदाता जुड़े हुए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इन पर ध्यान दिया है। ये दोनों दल चुनावों में इसका फायदा उठाने के लिए संबंधित राज्यों के क्षत्रपों के दौरे करेंगे।उधर, प्रवासी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जो यूपी से आती है, और जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने आजाद समाज पार्टी से गठजोड़ किया है।यहां समाजवादी पार्टी (सपा) भी सक्रिय है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और जीटी रोड बेल्ट के औद्योगिक क्षेत्रों पर प्रवासी मतदाताओं का बड़ा प्रभाव है। इनमें फरीदाबाद, गुरुग्राम, पानीपत, करनाल, यमुनानगर, अंबाला, रेवाड़ी और बहादुरगढ़ हैं।पलवल और फरीदाबाद में लगभग सात लाख बाहरी मतदाता हैं, जो किसी भी राजनीतिक दल का चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। गुरुग्राम में लगभग चार लाख बाहरी लोग मतदान करते हैं। करनाल और पानीपत जिलों में लगभग दो लाख प्रवासी मतदाता हैं। हिसार में एक लाख प्रवासी मतदाता हैं, अंबाला व यमुनानगर में दो लाख, कुरुक्षेत्र-कैथल में 50 हजार और अन्य जिलों में 10 से 20 हजार। प्रदेश में करीब चार हजार प्रवासी परिवार पेंशन ले रहे हैं।कांग्रेस ने प्रवासी कर्मचारियों की सेवा करने के लिए एक प्रवासी कल्याण बोर्ड बनाने का वादा किया है। इसके अलावा, फरीदाबाद, झज्जर, गुरुग्राम और जीटी बेल्ट में कांग्रेस नेता प्रवासी मतदाताओं से संपर्क बढ़ा रहे हैं और उनके त्योहारों और धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। राजनीतिक दल प्रवासी मतदाताओं को रिझाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रवासी मजदूर भी बड़े-बड़े वादे कर रहे राजनेताओं के सामने अपनी बात कहने में पीछे नहीं रह रहे हैं। गुरुग्राम में रह रहे बिहार के रोशन लाल ने कहा कि जो हमें रोजी-रोटी और काम धंधा देगा, हम उसके साथ हैं।दूसरे राज्यों से हम रोजी रोटी के लिए ही यहां आए हैं। हर चुनाव में उनसे वादे तो किए जाते हैं, परंतु पूरे नहीं करते। वहीं, कारोबार कर रहे उत्तर प्रदेश के कृष्णा कहते हैं कि जो उनके काम से जुड़े मुद्दों पर बात करेगा, उसका ही साथ देंगे।