कांग्रेस बौखलाई हुई है, मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया को-आर्डिनेटर सुदेश कटारिया ने कहा। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में सहयोग को तोड़ने का असफल प्रयास किया। यही नहीं, कांग्रेस ने हरियाणा को बर्बाद करने का योजना बनाया था। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में भाईचारे और सेवा की मिसाल दी। कटारिया ने दावा किया कि कांग्रेस ने सत्ता का हर समय दुरुपयोग किया है। कांग्रेस शासनकाल में दलितों को भी दबंगई का सामना करना पड़ा। लेकिन दलितों को हरियाणा के राजनीतिक संत मनोहर लाल ने सम्मान दिया।
रविवार को पलवल के रसूलपुर स्थित अंबेडकर भवन में दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह में CM के चीफ मीडिया को-आर्डिनेटर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। रसूलपुर के सरपंच राजकुमार ने सुदेश कटारिया को दलित सम्मान समारोह में पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया. धर्मेंद्र, राजेंद्र और अनिल प्रधान ने मुख्यातिथि को संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबडेकर का चित्र देकर सम्मानित किया।
सुदेश कटारिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधते हुए कहा कि एकमात्र परिवार कांग्रेस के नाम पर राजनीति कर रहा है। वर्तमान प्रधानमंत्री ने अपने बेटे को प्रधानमंत्री बनाने का दावा किया है। लेकिन वह भूल गए हैं कि दलितों ने उनके कार्यकाल में हुए अत्याचारों का बदला वोट की चोट से लेने के लिए भी पूरी तरह से तैयार किया है। कांग्रेस शासनकाल में दलितों को न्याय नहीं मिला, इसलिए वे हरियाणा छोड़ने लगे, जब गोहाना, महम और मिर्चपुर कांड हुए।
उनका दावा था कि 2014 में राजनीतिक संत मनोहर लाल ने हरियाणा की कमान संभाली तो उन्होंने दलितों को सम्मान और दबंगई से छुटकारा दिलाया। सत्ता से बाहर निकलने पर कांग्रेस ने प्रदेश में भाईचारे को तोड़ने का षड्यंत्र रचा, लेकिन पूर्व मख्यमंत्री मनोहर लाल की बुद्धिमानी ने इसे टूटने नहीं दिया। उनका दावा था कि कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों ने हमेशा जातिवाद, क्षेत्रवाद और परिवारवाद की राजनीति की है। यही नहीं, कांग्रेस ने राज्य में दो बार मित्रता को तोड़ने की असफल कोशिश की। कटारिया ने कांग्रेस को बुरी राजनीति से बाहर निकलने की सलाह दी।
मुख्यमंत्री के मुख्य मीडिया को-आर्डिनेटर सुदेश कटारिया ने कहा कि कांग्रेस को पहले अपनी पार्टी में दलित उत्पीड़न का हिसाब देना चाहिए। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को दलित बताया गया। उन्हें न सिर्फ अपमानित किया गया, बल्कि दबंगई भी झेलनी पड़ी। दबंगई से तंग आकर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और अब भाजपा में हैं। तंवर के बाद दलित कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उनकी दबंगई भी चल नहीं पाई। आज उन्हें दबंगई सहनी पड़ रही है, बेशक वह सांसद हैं। कांग्रेस को भाजपा से बातचीत करने की बजाय पहले अपनी पार्टी में दलितों की स्थिति बतानी चाहिए।
पलवल में समारोह को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि वे अपने जिले के दलित चेहरे के तौर पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं, लेकिन स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते। राजनीतिक परिवार के इशारे पर डम्मी प्रदेशाध्यक्ष