देश भर में नए-नए एम्स बनने के बावजूद Delhi AIIMS पर मरीजों का दबाव कम नहीं हो रहा है। बल्कि एम्स की ओपीडी में सिर्फ एक वर्ष में पांच लाख ३४ हजार की वृद्धि हुई है। यह हाल है जब एम्स के ज्यादातर विभागों ने ओपीडी में हर दिन देखे जाने वाले मरीजों की संख्या निर्धारित कर रखी है। निर्धारित आंकड़े से अधिक मरीज नहीं मिले हैं। साथ ही, एम्स ने एक वर्ष में पौने तीन लाख से अधिक मरीजों की सर्जरी की, जो अब तक का रिकॉर्ड है। एम्स के निदेशक डा. एम श्रीनिवास ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में संस्थान के डॉक्टरों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए एक वर्ष में संस्थान की उपलब्धियां बताईं।
एम्स की ओपीडी में एक वर्ष में लगभग 47 लाख 90 हजार मरीज देखे गए। करीब तीन लाख 21 हजार लोग अस्पताल में भर्ती हुए और करीब दो लाख 79 हजार लोगों की सर्जरी की गई। जबकि 2022–2023 में एम्स की ओपीडी ने 42 लाख 55 हजार 801 मरीजों को देखे गए थे। 2 लाख 80 हजार 770 लोगों को उपचार दिया गया था। वहाँ दो लाख ४८,८२६ सर्जरी हुईं। साल भर में इसके मुकाबले करीब ३० हजार मरीजों को सर्जरी की गई।
ओपीडी में लगभग पांच लाख ३४ हजार अधिक मरीज देखे गए और करीब ४० हजार अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती हुए। AIMS के अनुसार, राष्ट्रीय वृद्धजन केंद्र, मातृ-शिशु ब्लॉक और सर्जिकल ब्लॉक की शुरुआत से संस्थान में 825 बेड बढ़ गए हैं। इसके अलावा, तीसरे निजी वार्ड का उद्घाटन हुआ, जिसमें 111 कमरे हैं। इससे एम्स की चार हजार से अधिक बेड क्षमता हो गई है।
नए प्राइवेट वार्ड की नौवीं मंजिल पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट का उद्घाटन हुआ है। इससे बोन मैरो प्रत्यारोपण अधिक आसान हो गया है। इससे थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर जैसे बीमार लोगों के इलाज में बोन मैरो प्रत्यारोपण की सुविधा बढ़ी है। साथ ही, एम्स ने 900 करोड़ रुपये का एक नया हॉस्टल रेजिडेंट डॉक्टरों, मेडिकल विद्यार्थियों और नर्सिंग की छात्रों के लिए बनाने की अनुमति दी है। जिसमें दो हजार दो सौ कमरे होंगे। रेजिडेंट डॉक्टरों और विद्यार्थियों को इससे राहत मिलेगी।