सोमवार को राजधानी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरी श्रद्धा से मनाई गई। मंदिर में पूरे दिन नंद के आनंद भयो, यसोदा नंदन की जय, माखन चोर की जय, हाथी घोड़ा पालकी की जय, कन्हैया लाल की जय, बोलो बांके बिहारी लाल की जय जैसे जयघोष गूंजते रहे। मंदिरों में सजी झांकियों, नृत्यों और भजन मंडलियों ने श्रीकृष्णमय वातावरण बनाए रखा। लक्ष्मी नारायण मंदिर और इस्कॉन मंदिर दोनों बहुत सुंदर हैं। इन मंदिरों में दीपक, तोरण द्वार और रंग-बिरंगे फूल थे। भक्तों को वहीं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की झलक मिली।राजधानी के सभी छोटे-बड़े मंदिरों में सुबह पांच बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की आरती हुई। सुबह की आरती में शामिल हर श्रद्धालु झूमने से नहीं रोक सका। तब भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन करने और पूजा करने वालों का तांता आधी रात तक लगा रहा। नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज ने भी लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा अर्चना की। यहां पूजा करने के लिए सबसे अधिक श्रद्धालु आए। यही कारण है कि इस्कॉन टैंपल (ईस्ट ऑफ कैलाश, पंजाबी बाग, रोहिणी और द्वारका) में भी लोगों का तांता लगा रहा है।इन मंदिरों में विदेशी श्रद्धालुओं ने भी पूजा अर्चना की। मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण का जयघोष गूंजता रहा और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झूलाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ लगी रही। बच्चे भी झूला झूलाने में पीछे नहीं रहे।बच्चे भगवान श्रीकृष्ण बनकर मंदिर में आए। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव छतरपुर मंदिर और बद्री भगत झंडेवाला मंदिर परिसर में भव्य रूप से मनाया गया। आसफ अली रोड पर स्थित श्रीराम हनुमान वाटिका मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उत्सवपूर्वक मनाया गया। पेड़ा, लड्डू, और माखन-मिश्री प्रसाद के रूप में बांटे गए। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मध्यरात्रि को मनाया गया था। दरअसल, जन्माष्टमी की मध्यरात्रि का समय बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसी समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जैसे, रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की पूजा के दौरान मंदिरों में विशेष कीर्तन और भजन हुए। इस्कॉन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को दूध, दही और जल से अभिषेक किया गया था।आर्य समाज करोल बाग ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक विशाल महायज्ञ का आयोजन किया। वैदिक मंत्रों का सुंदर यज्ञ आचार्य जय प्रकाश शास्त्री ने सम्पन्न कराया। आर्य विद्वान रवि देव ने इस अवसर पर योगेश्वर श्री कृष्ण के व्यक्तित्व के कई पहलुओं पर चर्चा की। वहीं, आर्य समाज के अध्यक्ष कीर्ति शर्मा ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का व्यक्तित्व पूरी मानवता को प्रेरणा देता है। उनका सामयिक रूप हमें जीवन में मानसिक संतुलन का पाठ सिखाता है।मंदिरों में, विशेषकर लक्ष्मी नारायण मंदिर में, भगवान श्रीकृष्ण की सुंदर झांकियां थीं. इनमें भगवान श्रीकृष्ण के कई स्वरूप थे, जैसे वासुदेव और देवकी की जेल में बंद होना, बालक श्रीकृष्ण को जेल से यमुना पार ले जाते हुए वासुदेव, पूतना का वध करते हुए श्रीकृष्ण, यशोदा को ब्राह्मण दिखाते हुए श्रीकृष्ण, माखन चोरी करते हुए नरसिंह अवतार, Исकान मंदिरों में भगवान की कई मुद्राओं की तस्वीर लगी हुई हैं। झंडेवालान मंदिर और आसफ अली रोड स्थित श्रीराम हनुमान वाटिका में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की चित्रकला भी दिखाई दी गई।